एक बार सोच कर देखिए-यदि सारी अश्वेत और श्रमिक (श्रमिक की मेरी परिभाषा के अनुसार वह प्रत्येक शख्स श्रमिक है, जो जीविका के लिए कार्य करता है और वह नहीं है, जो कार्य नहीं करता) स्त्रियाँ यदि अपनी कमतर जिंदगी के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानना छोड़ दें तो हम क्या पा सकते हैं।